प्रधानमंत्री मोदी आज बंग्लादेश दौरा पर है। बंग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी दिवस और बंग्लादेश की आजादी का 50वां वर्षगांठ मनाया जा रहा है, जिसके मुख्य अतिथि के तौर पर मोदी शरीक हुए हैं।
प्रधानमंत्री वहां मतुआ समुदाय के संस्थापक और धर्म गुरु हरीचंद्र ठाकुर की ओरकांडी स्थित जन्मस्थली भी जाएंगे। भारत-बांग्लादेश के इतिहास में पहली बार होगा कि भारत का कोई प्रधानमंत्री मतुआ समुदाय के बीच जाऐगा। मोदी का मतुआ समुदाय के मंदिर का दर्शन करने के लिए जाना या उस समुदाय के बीच जाने को लेकर राजनीतिक विश्लेषक कूटनीति के साथ-साथ राजनीतिक मायने भी निकाल रहे हैं।

दरअसल, जब मोदी बंगाल की सरजमीं पर होंगे मतुआ समुदाय के बीच, तब बंगाल चुनाव के पहले चरण का वोटिंग हो रहा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मोदी का मतुआ समुदाय के बीच जाने का मक़सद बंगाल में 70 सीटों पर प्रभाव रखने वाले मतुआ समुदाय को अपनी तरफ आकर्षित करना है। कई विश्लेषक इसे प्रधानमंत्री का भावनात्मक राजनीति बता रहे हैं क्योंकि बंगाल के मतुआ समुदाय का भावनाएं हरीचंद्र ठाकुर की जन्मस्थली से जुड़ा हुआ है। इसलिए प्रधानमंत्री का उस मंदिर में जाना मतुआ समुदाय के वोटरों को बीजेपी की तरफ आकर्षित कर सकता है।
इसकी बानगी 2019 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था। बंगाल में चुनावी प्रचार की आगाज प्रधानमंत्री मोदी ने मतुआ समुदाय की माता बीनापाणी देवी की चरण स्पर्श करके की, इसका असर यह था कि बीजेपी ने 18 सीटें जीती थी और सबसे ज्यादा सीटें मतुआ समुदाय के प्रभाव वाले संसदीय क्षेत्र में हासिल हुई थी।
प्रधानमंत्री का बंग्लादेश दौरा बंगाल चुनाव पर और मतुआ समुदाय पर कितना असर डालेगा, आने वाला वक्त तय करेगा।
