2013 में सामने आया सारदा घोटाला भ्रष्टाचार का पहला ऐसा मामला था जिसमें ममता बनर्जी सरकार आरोपों में घिरी थी। तृणमूल के कई वरिष्ठ सांसदों, मंत्रियों और नेताओं को इसमें आरोपी बनाया गया, जबकि कम से कम दो पार्टी सांसदों–सुदीप बनर्जी और तापस पाल—और एक मंत्री मदन मित्रा को घोटाले के सिलसिले में सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया था।
इसके बाद से इस मामले में आरोपी रहे मुकुल रॉय, सुवेंदु अधिकारी और सोवन चटर्जी जैसे कुछ टीएमसी नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं।दिप्रिंट को दिए एक विशेष साक्षात्कार में बिस्वास, जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव जेल पहुंचाने वाले चारा घोटाले की जांच का श्रेय दिया है, ने कहा कि उनकी किताब में सारदा घोटाले के साथ-साथ शासन और सिविल सेवा से जुड़े अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई है।
मौजूदा समय में बीएसएफ के महानिदेशक के तौर पर काम कर रहे अस्थाना को अपना ‘शिष्य’ बताते हुए बिस्वास ने कहा कि इस अधिकारी को दुर्भावनापूर्ण और गलत तरीके से सीबीआई निदेशक बनने से रोका गया था। बिस्वास ने कहा कि अस्थाना उनकी उस टीम के सदस्य थे जिसने लगभग दो दशक पहले चारा घोटाले की जांच की थी।
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बिस्वास 2002 में सेवानिवृत्त हुए थे और 2011 में राजनीति और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। ममता सरकार के पहले कार्यकाल में बिस्वास पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बने, लेकिन 2016 में चुनाव हार गए। मुख्यमंत्री ने इसके बाद उन्हें पश्चिम बंगाल के एससी, एसटी और ओबीसी आयोग का अध्यक्ष बना दिया जो कि एक कैबिनेट मंत्री के पद के बराबर दर्जा रखता है।
बिस्वास अपनी किताब में लिखते हैं, ‘यह बहुत बड़ी धोखाधड़ी थी जिसने भारत के अन्य सभी घोटालों को पीछे छोड़ दिया। यहां पर, प्रभावशाली लोगों और गरीब सुदीप्त सेन द्वारा वामपंथियों और दक्षिणपंथियों को लूटने के लिए एक बड़ी साजिश रची गई।’ सेन सारदा फर्मों के सीईओ और एमडी थे और वह इस समय जेल में बंद हैं।
साथ ही आगे कहा, ‘हम जानते हैं कि एक बहुत बड़ा घोटाला हुआ है और यह रातोरात नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले आदेश में सीबीआई को जांच का जिम्मा संभालने का निर्देश देते हुए कहा था कि इसमें बड़ी साजिश का खुलासा होना जरूरी है। मैं विशेष रूप से इस बयान—बड़ी साजिश—का मतलब अच्छी तरह जानता-समझता हूं क्योंकि मैं चारा घोटाले के दौरान इस पहलू से परिचित रहा हूं। बड़ी साजिश में प्रभावशाली लोग, ज्यादातर राजनेता और वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं।’
तृणमूल के साथ अपने रिश्तों पर पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘मैंने राजनीति में आने की ममता बनर्जी की पेशकश कई बार ठुकरा दी थी। लेकिन 2011 में उन्होंने मुझसे कहा कि आदिवासी और पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए कुछ करने के लिए उन्हें मेरी जरूरत हैं। मैं इस पर राजी हो गया. लेकिन, इस बार मैं चुनाव नहीं लड़ने जा रहा हूं।’
क्या है शारदा चिटफंड घोटाला
शारदा चिटफंड स्कैम की शुरुआत साल 2000 के दशक में हुई। बिजनेसमैन सुदीप्तो सेन ने इस ग्रुप की स्थापना की. सुदीप्तो ने इस ग्रुप के तहत 4-5 प्रमुख कंपनियों के अलावा 239 कंपनियां बनाईं। आरोप हैं कि सुदीप्तो ने अपनी प्रमुख कंपनियों शारदा रीयलिटी, शारदा कंस्ट्रक्शन, शारदा टूर एंड ट्रैवेल और शारदा एग्रो की अलग-अलग स्कीमें लोगों के बीच जारी कीं। इन कंपनियों ने 3 तरह की स्कीमें चलाईं। ये तीन स्कीमें थीं- फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट और मंथली इनकम डिपॉजिट। इन स्कीमों के जरिए भोले भाले जमाकर्ताओं को बताया गया कि उनको निवेश के बदले 25 गुना ज्यादा रिटर्न मिलेगा। साथ ही, प्रॉपर्टी या फॉरेन ट्रिप भी मिलेगी। इस तरह शारदा ग्रुप ने साल 2008 से 2012 तक चार कंपनियों के जरिए पॉलिसी जारी करके रुपए इकट्ठे किए। ग्रुप की एक स्कीम ऐसी थी, जिसमें कहा गया कि अगर आप कंपनी में 1 लाख रुपए लगाते हैं, तो 25 साल बाद कंपनी की ओर से आपको 34 लाख रुपए वापस मिलेंगे। जगह-जगह एजेंट नियुक्त करके छोटे निवेशकों से उनकी बचत के पैसे इकट्ठे किए गए। बिजनेस टुडे के मुताबिक इन स्कीमों के जरिए करीब 14 लाख छोटे निवेशकों से 12,00 करोड़ रुपए जुटाए गए। कंपनी ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, झारखंड और त्रिपुरा जैसे प्रदेशों में करीब 300 ऑफिस खोल रखे थे। ग्रुप के चेयरमैन सुदीप्त सेन का ग्रुप की सभी कंपनियों की सभी जमा रकम पर पूरा कंट्रोल था. अब तक ग्रुप मीडिया आदि क्षेत्रों में भी पैर फैला चुका था। ग्रुप तारा न्यूज और तारा म्यूजिक चैनल चलाने के साथ-साथ कई बांग्ला, इंगलिश और हिंदी न्यूज पेपर चला रहा था।
अगर राकेश अस्थाना को सीबीआई से नहीं हटाया गया होता
बिस्वास की किताब में सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की प्रशंसा भी की गई है, जिनके खिलाफ 2018 में उनके संगठन की तरफ से ही कम से कम आधा दर्जन मामले दर्ज किए गए थे।
बिस्वास ने अस्थाना के खिलाफ दर्ज मुकदमों का हवाला देते हुए लिखा है, ‘यदि शिष्य राकेश अस्थाना को सीबीआई से हटाया नहीं गया होता तो अदालती कार्यवाही के बाद तमाम ताकतवर अपराधियों को दोषी करार देकर जेल भेज दिया गया होता।’
बिस्वास ने दिप्रिंट से कहा, ‘मुझे लगता है कि मेरे शिष्य के साथ गंभीर अन्याय हुआ है। उन्हें सिर्फ सीबीआई से हटाने के लिए कम से कम आधा दर्जन झूठे मुकदमे दर्ज किए गए थे। (सारदा) घोटाले के साजिशकर्ताओं ने खुद अपनी खाल बचाने के लिए एक गहरी साजिश रची थी।
उन्होंने कहा, ‘अगर वह सीबीआई में होता, तो हम अपराधियों को दोषियों के रूप में जेल में सजा काटते देख रहे होते. वे इस तरह आराम से बाहर नहीं घूम रहे होते।’ बिस्वास ने बताया कि वह अस्थाना के संपर्क में हैं, जो दो साल पहले उनसे मिलने कोलकाता आए थे।
पूर्व अधिकारी ने कहा, ‘मैं उनके संपर्क में हूं। वो मुझे फोन करते रहते हैं। मैं उन्हें दशकों से जानता हूं। मैंने एक सक्षम आईपीएस अधिकारी और एक अच्छे जांच अधिकारी के रूप में उन्हें आगे बढ़ते देखा है। वह ईमानदार हैं।’ बिस्वास ने कहा, ‘वह संभवत: अगले सीबीआई निदेशक बन जाएंगे।’
79 वर्षीय बिस्वास ने बताया कि अपनी किताब में उन्होंने दो चैप्टर नारद स्टिंग और जंगलमहल की लूट पर समर्पित किए हैं, लेकिन इसके बारे में विस्तार से जानकारी देने से इनकार कर दिया।
उन्होंने बताया, ‘किताब छपने के लिए चली गई है और जल्द ही प्रकाशित हो जाएगी। मैं केवल यही कह सकता हूं कि मैंने इस बारे में भी विस्तार से बताया है कि कैसे जंगलमहल में आदिवासी समुदाय के साथ समाज के कुछ वर्गों की तरफ से शोषण और धोखाधड़ी की गई है।’
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