बिहार में इन दिनों लालू प्रसाद यादव की पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के बीच लगातार खींचतान चल रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या लोकतांत्रिक राजनीति पर वंशवाद की जीत होगी? तेजप्रताप यादव ने सिंह को तानाशाह कहा था। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि जगदानंद सिंह उनकी अवहेलना करते हैं और उनके कारण ही उनके पिता बीमार पड़े हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता सिंह ने तेजप्रताप यादव की इस अभद्रता पर नाराजगी जताई है। ऐसे में अगर उन्हें पार्टी के अंदर सबकुछ करने के लिए पूरी आजादी नहीं दी जाती है तो वो मानसिक थकान का बहाना बना कर छुट्टी पर जा सकते हैं।
तेज प्रताप की नाराजगी का कारण फिलहाल उनके करीबी और दलित नेता राजेंद्र पासवान को पार्टी में सम्मानजनक पद देने में हुई हीला-हवाली को बताया जा रहा है। तेज प्रताप इसके लिए कई बार अनुरोध कर चुके थे. हालांकि अब पासवान को जगह दी जा चुकी है, लेकिन तेज प्रताप के तेवर ने प्रश्न तो खड़े कर ही दिए हैं।

लालू अपने बड़े पुत्र 29 वर्षीय तेजप्रताप को हमेशा “सोने जैसा खरे दिलवाला इन्सान” बताते रहे हैं। तेज प्रताप ने बारहवीं तक पढ़ाई की है। प्रधानमंत्री की खाल उधड़वा देने से लेकर सुशील मोदी के बेटे की शादी में कोहराम मचा देने की धमकी तक, अपनी भावनाओं पर काबू रखने में अक्षमता के कारण उनकी छवि अपरिपक्व नेता की बनी है।
तेज प्रताप के छोटे भाई तेजस्वी उनसे बहुत अलग हैं। व्यवहार कुशल तेजस्वी अपने पिता के संयत, शहरी और राजनैतिक रूप से सही संस्करण कहे जा सकते हैं. तमाम बाधाओं के बीच तेजस्वी ने एक साहसी और सूझबूझ से भरे नेता के रूप में ऐसे कठिन दौर में पार्टी को बखूबी संभाल लिया।
राजद पर आमतौर पर परिवार का कब्जा रहा है। लालू के छोटे बेटे तेजस्वी पार्टी के सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे हैं. लेकिन तेज प्रताप अपने अपने खराब व्यवहार के चलते नेतृत्व के लिए एक अड़चन बने हुए हैं. सत्ता से बाहर, तेज प्रताप और अधिक आक्रामक हो गए हैं और परिवार की विरासत पर कब्जे के लिए संघर्ष तेज हो गया है. साल 2019 के लोगकसभा चुनाव में तेज प्रताप ने शिवहर और जहानाबाद से अपने उम्मीदवार खड़े किए थे।
जीतन राम मांझी को एनडीए से छीनकर और पार्टी को तीन उपचुनाव जिताकर तेजस्वी ने अपनी नेतृत्व क्षमता साबित की है। युवा और ऊर्जा से भरपूर तेजस्वी बिहार में एनडीए के सामने एक मजबूत चुनौती के रूप में उभरे हैं। 2019 में तेजस्वी यादव के राजनैतिक कौशल पर सबकी नजरें गड़ी होंगी।
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