नंदीग्राम पर बीजेपी ने अभी जैसा फ़ोकस रखा है वह लगातार 2024 तक बना रहेगा. शुभेंदु अधिकारी चाहे हारें या ममता हारें, इससे बीजेपी की इस रणनीति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उनका लक्ष्य लगातार पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव तक यही माहौल बनाए रखना है. इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता हर महीने नंदीग्राम का दौरा करेंगे. लगातार कार्यक्रम होते रहेंगे.
पश्चिम बंगाल में सत्ता की लड़ाई का केंद्र बिंदु बने नंदीग्राम का संग्राम विधानसभा चुनाव के बाद भी ख़त्म नहीं होगा. नंदीग्राम में चाहे ममता जीतें या शुभेंदु अधिकारी. पश्चिम बंगाल लगातार सुर्खियों में रहेगा और उसके केंद्र में रहेगा नंदीग्राम. अगले लोकसभा चुनाव यानी चुनाव-2024 तक पश्चिम बंगाल में माहौल गरम रहना तय है तो इस ताप का असली चूल्हा नंदीग्राम में ही जलता रहेगा. नंदीग्राम के नतीजे तो अब ईवीएम से खुलेंगे. अभी पश्चिम बंगाल में छह चरण के चुनाव और होने हैं. इस दौरान तो माहौल पूरा सरगर्म है. मगर यदि आप सोच रहे हैं कि पश्चिम बंगाल चुनाव के नतीजों के बाद राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों से ये राज्य ग़ायब हो जाएगा तो यह नहीं होने वाला. यही राज की बात है कि कैसे पश्चिम बंगाल लगातार सुर्खियों में रहेगा और इस सियासत का शक्ति केंद्र होगा नंदीग्राम.

राज की बात यही है कि विधानसभा चुनाव में आपने पश्चिम बंगाल में जो उठापटक देखी, वह सिर्फ राज्य की नहीं बल्कि केंद्र की सत्ता का संघर्ष है. बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में निश्चित तौर पर इतिहास बनाने और सत्ता परिवर्तन के लिए ताकत झोंकी है. मगर इसके पीछे सिर्फ पश्चिम बंगाल में बीजेपी का परचम फहराना नहीं, बल्कि 2024 की ज़मीन इतनी मज़बूत करना है कि दिल्ली के रास्ते में कोई व्यवधान पैदा न हो. तो सवाल ये उठता है कि ये योजना क्या है? …और ये बीजेपी कैसे करेगी?
बीजेपी की दीर्घकालिक सोच-
इस राज की बात से अब हम उठाते हैं परदा. पहले बात बीजेपी की दीर्घकालिक सोच की. विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन कर अगर बीजेपी आ जाती है तो फिर तो कोई बात ही नहीं. दूसरे ये तो तय है कि ममता और बीजेपी में कांटे की लड़ाई है तो अगर विपक्ष में भी पार्टी आती है तो वह काफ़ी मज़बूत और उत्साह व ऊर्जा से लबरेज़ होगी. बस बीजेपी का लक्ष्य कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग पहुंचने के साथ-साथ दिल्ली में चुनाव-2024 में रायसीना हिल्स का अपना सफ़र मज़बूत करना ज्यादा है.
आप पूछेंगे वो कैसे? तो कोई राकेट साइंस नहीं. बीजेपी के नेतृत्व को पता है कि उत्तर भारत से लेकर पश्चिम के जिन राज्यों में वह अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुका है, वहां सत्ता विरोधी भावनायें कुछ नुक़सान उसे ज़रूर पहुंचा सकती हैं. ऐसे में जिन राज्यों में उसकी संभावनायें हैं और अभी वहां वो अपने सर्वोच्च बिंदु पर नहीं पहुंची है, उन्हें निशाने पर लिया है. इनमें जाहिर तौर पर पश्चिम बंगाल सबसे पहले और उड़ीसा जैसे राज्य हैं.
वैसे पश्चिम बंगाल में चुनाव-2024 के पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी पश्चिम बंगाल की 18 सीटें जीत चुकी है. 42 सीटों में से 22 तृणमूल कांग्रेस के खाते में ही थीं. बीजेपी का लक्ष्य अगले लोकसभा चुनाव यानी 2024 तक 25 सीटों का है. इसके लिए पार्टी लगातार अपना दमख़म झोंके रहेगी. आख़िर ये कैसे होगा? और इससे हासिल क्या होगा?
