पश्चिम बंगाल चुनाव अब आखिरी पड़ाव पर है, यानी अब तक तीन चरणों के 91 सीटों के लिए वोट डाले जा चुके हैं। 2021 विधानसभा चुनाव में बीजेपी और तृणमूल के बीच सीधी टक्कर होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस सत्ता की लड़ाई में करीब 34 सालों तक पश्चिम बंगाल में बादशाहत का लोहा मनवाने वाली लेफ्ट आज दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है। जब इसके पीछे की वजह लेफ्ट के कुछ चुनिंदा कारकर्ताओं से हमारे रिपोर्टर ने जानने की कोशिश की।
जब पूछा गया कि यह चुनाव तृणमूल बनाम बीजेपी हो गया हैं, लेफ्ट कहीं दिख क्यों नहीं रही? तो जवाब के रूप में कहा गया कि हम इस चुनाव में अपनी जमींन तैयार कर रहे हैं। यह विधानसभा चुनाव हमारे लिए सेमीफाइनल है और हमारी पार्टी 2026 की तैयारी कर रही हैं। हालांकि हम इस चुनाव में भी मजबूती से टक्कर दे रहे हैं और 2 मई को एक नई ताकत बनकर उभरेंगे।

गौरतलब है कि वाम दल हमेशा से ममता बनर्जी पर आरोप लगाती रही है कि तृणमूल की तुष्टीकरण वाली राजनीति की वजह से पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी आज पैठ ज़माने में कामयाब हुई हैं। वहीँ अब सीपीएम इस बात को स्वीकार कर रही है कि उनके अपने जो कैडर कार्यकर्ता थे वह सारे बीजेपी में परिवर्तित हो गए हैं। वाम दल के कार्यकर्ताओं के पास यह नौबत इसलिए आई कि वह पश्चिम बंगाल की राजनीति हिंसा वाली लड़ाई में खुद की आत्म रक्षा नहीं कर पा रहे थे और लेफ्ट लगातार सत्ता से दूर रहने के कारण कमजोर पड़ती जा रही थी। वहीँ बीजेपी सहारे के रूप में दिखाई दिया जिसकी वजह से लेफ्ट का कैडर मतदाता लाल सलाम से भगवामय हो गए।
बंगाल चुनाव: आखिर किन वजहों से लाल सलाम से भगवामय हुआ नक्सलवाड़ी?div class=”mypostfooter”>
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